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पिता का नाम
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श्री माया राम आर्य
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माता का नाम
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श्रीमती भारती देवी
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जन्म तिथि
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01/10/1951
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जन्म स्थान
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बलंद, रोहतक, हरियाणा
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वैवाहिक स्थिति
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अविवाहित
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शैक्षिक योग्यता
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दर्शनाचार्य, एम.ए. (संस्कृत) दयानन्द संस्कृत महाविद्यालय, दीनानगर पंजाब; और मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश से शिक्षा ग्रहण की
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व्यवसाय
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समाज सेवा
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स्थायी पता
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वैदिक आश्रम, पिपराली, ग्राम डाक-पिपराली,
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जिला-सीकर, राजस्थान
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दूरभाष : (01572) 226300, 09928470131 (मो.)
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वर्तमान पता
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1, हरिशचन्द्र माथुर लेन,
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नई दिल्ली-110 001
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दूरभाष : (011) 23314748, 09013869341 (मो.)
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जिन पदों पर कार्य किया
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मई, 2014
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सोलहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित
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1 सितम्बर 2014 से
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सदस्य, मानव संसाधन विकास संबंधी स्थायी समिति
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15 सितम्बर 2014 से
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सदस्य, आचार समिति
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सदस्य, परामर्शदात्री समिति, कृषि मंत्रालय
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सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय
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मई, 2019
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सत्रहवीं लोक सभा के लिए पुन: निर्वाचित
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प्रकाशित पुस्तकें
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ब्रह्मचर्य संदेश, वेद के ब्रह्मचर्य सूक्त का विस्तृत विवरण; विभिन्न मंचों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए; विभिन्न साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं; विभिन्न पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए।
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साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां
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संस्कृत भाषा का अध्ययन करने के अतिरिक्त यज्ञ संबंधी साहित्य और विज्ञान में गहन रूचि
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सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकलाप
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1975 से सामाजिक संगठनों सं सम्बद्ध; स्कूल और कॉलेज के दिनों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध; आर्य समाज के विभिन्न संघटनों में राज्य स्तरीय महासचिव और राज्य स्तरीय अध्यक्ष के पदों पर कार्यरत; सर्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कार्यरत; विभिन्न शैक्षणिक और अन्य संगठनों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। स्कूल और कालेज के दिनों में नाटक में रूचि थी।
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विशेष अभिरुचि
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युवकों को शिक्षत करना और उनमें सामाजिक और नैतिक मूल्य जागृत करना; योग में विशेष अभिरूचि; ग्रामीण क्षेत्रों में नशामुक्ति हेतु विशेष अभियान चलाया; जन जागरण और गाय सन्तति की सेवा में भी गहन रूचि है।
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खेलकूद और क्लब
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योग, कश्ती और फुटबाल में विशेष अभिरूचि; स्कूल के दिनों में राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धाओं में और कालेज के दिनों में अन्तर्विश्विवद्यालय प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया।
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विदेश यात्रा
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आरमेनिया, आस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, हॉलैण्ड, इटली, मारिशस, न्यूजीलैंड, रशिया और स्िवटजरलैंड। सांस्कृतिक अध्ययनों के लिए और वैदिक संस्कृति के प्रचार हेतु विदेशी केन्दा्ें की यात्रा की।
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अन्य जानकारी
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बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के हैं; संस्कृत के अध्ययन हेतु 1972 में घर छोड़ दिया, संस्कृत का अध्ययन करते समय आठ वर्षों तक अध्यापन कार्य किया, 1984 में स्वामी सर्वानन्दजी से दीक्षा ली और सन्यासी बन बन गए; सामाजिक कार्य करते हुए 1989 में भा.ज.पा. से जुड़ गए; गौरक्षा और शराबबन्दी आदि जैसे आन्दोलनों में भाग लिया; जे.पी. आन्दोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
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